इस ब्लॉग पर संस्कृत में यह प्रथम प्रस्तुति है। कविता लिखने में रुचि तो है ही, मूल गीत के लय और भाव के उपयुक्त शब्द चुनने का खेल, और एक पंक्ति में लाघव बनाए रखने से मिलता संतोष। ट्विटर पर एक संस्कृत छात्रा ने कल कोई गीत - "कुछ तो बता ज़िन्दगी" गुनगुनाते हुए उसी गीत की पहली कड़ी संस्कृत में ट्वीट कर दी, तो उस गीत को खोज लिया और आगे लिखने का मैंने भी प्रयास किया। पहले भी एक ङ्ओओ कड़ियाँ किसी न किसी गीत की लिखती आई हूँ, इस बार हँसीखेल में पूरे गीत का अनुवाद हो गया। अब तक मैं व्याकरण भली-भाँति नहीं सीख पाई तो त्रुटियाँँ हो सकती हैं, पर वह तो लिखते लिखते अभ्यास से ही जाएंगी। इसी तरह गीतों-कविताओं के अनुवाद करते करते कभी नए वाक्य संस्कृत में सरलता से लिखना भी सीख ही जाऊंगी।
तो वह गीत यहाँ सुनें - Zindagi Kuch Toh Bata - और साथ एक अनुवाद भी देखकर प्रतिक्रिया अवश्य दें।
कदा प्रणयपरिवेष्टितः
कस्मिंश्चित् वीथिकान्ते
अहं वर्णयामि तव हस्ते
नामं मम तव नामान्ते
नतलोचन त्वं तदा हे
गतसङ्कोच भवतु
मम भुजशीखरे संविशतु
कपोल तव जीवनम्
किञ्चित् तु वद जीवन...
स्वसङ्केतं जीवन...
तारकित रात्र्यां पठिष्यामः
सम्भूय भवतः पत्रं
एकस्मिन् हस्ते कम्पितः
सावशेष पृष्ठं रिक्तं
किञ्चित् व्याक्रोशतु भवत्
ईषत् विप्रलपामि अहम्
मा कुप्यतु भोः जीवन
स्वसङ्केतं जीवन...
(त्वम् वर्तसे ततः जीवामि अहम्
त्वम् वर्तसे ततः जीवामि अहम्
त्वम् वर्तसे ततः च व्योमन्
त्वम् वर्तसे ततः धरा मम)
कश्चन मार्ग
कश्चित पथ हि
ददातु माम्
काचित् सञ्ज्ञाम्
स्वसङ्केतंऽऽ जीवन...