सूर्य खिला है आसमान में
धुप सुनहरी है लाया
विश्व सारा दिख रहा है उजला
साफ़ साफ़ हर कण दिखलाया
उद्यम में लगा जग सारा
प्रकाश को गले लगाया
सुवासित श्वेत शतदल सुमन
कहीं कुञ्ज में था, दिख न पाया
तप्त हुआ वातावरण
लौ का जैसे बादल लहराया
पुष्प दल से नमी लगी उड़ने
रंग भी ज़रा सा कुम्हलाया
पर वही गर्म हवा
कभी शीतल पवन थी, जब था साया
जो जाना था ह्रदय से
उसे अनदेखा न कर पाया
तृषा कई दिनों की थी बुझी
जब पवन था वर्षा लाया
उन्हीं पंखों पर आया था जल
बन ओस किरणों को था चमकाया
समय बदल गया है, देखो,
बात हमारी भी मानो
संभल जाओ, जी जाओगे
पत्तों ने बहुत समझाया
दाह लगा हुआ था पर
शीतलता भूल न पाया
फूल कभी कंटक बन न पाया
क्या करे, मुरझा गया
धुप सुनहरी है लाया
विश्व सारा दिख रहा है उजला
साफ़ साफ़ हर कण दिखलाया
उद्यम में लगा जग सारा
प्रकाश को गले लगाया
सुवासित श्वेत शतदल सुमन
कहीं कुञ्ज में था, दिख न पाया
तप्त हुआ वातावरण
लौ का जैसे बादल लहराया
पुष्प दल से नमी लगी उड़ने
रंग भी ज़रा सा कुम्हलाया
पर वही गर्म हवा
कभी शीतल पवन थी, जब था साया
जो जाना था ह्रदय से
उसे अनदेखा न कर पाया
तृषा कई दिनों की थी बुझी
जब पवन था वर्षा लाया
उन्हीं पंखों पर आया था जल
बन ओस किरणों को था चमकाया
समय बदल गया है, देखो,
बात हमारी भी मानो
संभल जाओ, जी जाओगे
पत्तों ने बहुत समझाया
दाह लगा हुआ था पर
शीतलता भूल न पाया
फूल कभी कंटक बन न पाया
क्या करे, मुरझा गया
-BhairaviParag