Wednesday, July 16, 2014

जियो

जियो तो ऐसे जियो, दिल से
जो कोई मिले बोल उठे...
"क्या जी रहे हो यार
जीवन हो तो हो ऐसा

बादल घिरे हैं घने हर तरफ
कहाँ से चमकी यह किरण
जिसका आइना बना तुम्हारा चेहरा
उजाला वो भी फैला रहा

कुछ कह दिया तुम्हें किसी ने
मैंने भी सुना, था कुछ रुखा सा
तुम रूठे तो नहीं, बरसा रहे
फिर भी अपनापन ही उतना

उत्सव हो जिस दिन,
तुम्हारे साथ और खिल उठा
मेला लगा हर दिन खुशियों का
क्यों खोजें मीत मिलने को बहाना

खुल के ली साँस, गलती जो की भी, तो नयी
भरी उड़ान सितारे छूने को
न भी मिले जो तारे, चाँद तो छुआ
'काश यह किया होता' तो न  कहा

बाँटा जो था मीठा हमेशा
जो कुछ परोसा गया खट्टा तीखा
साँसों से हल्का कर दिया,
आँखों से लगा अपना लिया"

और फिर एक दिन… 

"तुम जा रहे लम्बे सफ़र पर
पता है खुश ही रहोगे हर जहाँ
मिलेगा कोई, जिस से बात करते
खिलेगा दिल, पहचान लेंगे तु ही लौट आया"

-BhairaviParag 

Loved this :)

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