Wednesday, July 16, 2014

उस तारे को

सितारा तुम दूर
एक हो लाखों में
प्रकाश हल्का शीतल
देते रहते, छंटता अंधेरा
ऐसा क्यों लगता
तुम हो अपने से
हाथ बढाऊँ जो
मिल जाओगे
प्यारे नाज़ुक फूल से
सजाकर रखूं मंदिर में
पूजा करता रहे यह मन
दिशा कल्याणी सदा
दिखाते रहो तुम
झिलमिलाते मुस्कुराते
हमेशा की तरह

-BhairaviParag 

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