Friday, March 06, 2015

होली है :-)

होली की अनेक बधाइयाँ 


उड़ाए गुलाल केसुड़ा  उमंग से 
हर ओर नवरंग की बदली बुनी झीनी
ढोल तांसा बजे धकतिनछिनछिन
नाच गा होली की बधईयाँ दिनी
जल के कुण्ड कई हर कोने में
मन भर सब ने डुबकियाँ लीनी
होली है...पुकार गूंजी बुलंद और 
सारी धरती आज हुई जल भीनी
छोटे छोटे बालक सब आँगन उमड़े 
टोली जैसे बंदरो की साथ हो लीनी
लाल पीले हरे नीले जामुनी श्यामल
केसरी रंग की पोटलियाँ कई कीनी
छपछपाक पानी में कूदे, दौड़ आ 
नन्ही सी सखी से पिचकारी छीनी
हंसी किलकारी मीठी सी छलकी
जब जल की सर में हुई बाला भीनी
फिर छुप कर रंग दिया अचानक
चपलता से लौट कैसी चौंका दीनी
समय का भान न रहा किसी को
फिर उदर ने भोजनकी याद कीनी
गुजिया ठंडाई हरेभरे चने पतासे
माँ ने मीठे पुरण से पूरियां भर दीनी
 हर साल यह एक दिन रंग खेलन
इसकी मौज छबियों में भर लीनी

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