Wednesday, July 16, 2014

पलकों पे रहते हैं

सुना कई बार बड़ी सुन्दर है इन आँखों की चमक...
राज़ ना है छुपा, पर फिर भी आज बताते हैं.
कदम जब पड़ते, ज़मीन पर क्यों फूल बिछ जाए,
क्यों हँसी आँखों से हर एक पल छलकी जाए

धुप सुनहरी, छाँव शीतल, क्यों सम ही लगती,
नींद आए जब, क्यों सपने मधुर गुनगुनाएं
बस इशारे ही कैसे मन की बात बता जाते,
सारा संसार कैसे क़दमों में सिमट जाए

क्यों है विश्वास सा, की सब है जैसा होना था,
क्यों साथ साहसों की राह निकल पड़ते हैं,
बादलों से हलके क्यों ना उड़े आसमानों में... 
एक दूजे की पलकों पे रहा करते हैं!

- BhairaviParag   :)

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