Thursday, August 21, 2014

नाज़ है

                   जाना जब से है उन्हें, ये जिंदगी बढ़ सी गयी,
               दिन हर एक रंगे उन से, दिल में याद उनकी रही 
बोल दें जो बातें गहरी, सोचने ये दिल लगे,
बादल सब जाएँ बिखर, आसान हर मुश्किल लगे.


चलने लगें राह पर जब, सौ आँखें उन पर रुकें,
हँस दें जब वो खिलखिला, या धीरे से पलकें झुकें

नज़र मिला अपना बनाएँ, लाखों की वे जान हैं,
गम हो कम जब पास वो हों, खुशियों की पहचान हैं
दिल वो सुनता है इस दिल की, जाना सा चेहरा भी है,
नाज़ है खुद पर, उनके वक़्त पर, थोडा हक मेरा भी है


-BhairaviParag
(Note: Wrote & first posted this a year ago, in August2014. Re-posting the same after some time-gap, on the occasion on GuruPoornima today, 31/07/2015.)